Diwali 2022 : दीपावली धनतेरस, नरक चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाईदूज इन 5 का मिलन है. दिवाली साल 2022 24 अक्टूबर को है. ब्रह्म पुराण के अनुसार अर्धरात्रि में मां महालक्ष्मी घरो में विचरण करती हैं भक्तों की पूजा और आस्था से प्रसन्न होकर माता स्थायी रूप से पृथ्वी पर ही निवास करती हैं. दिवाली की रात मां लक्ष्मी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विशेष महत्व है.
Diwali 2022
दिवाली पर लक्ष्मी माता के साथ क्यो होती है गणेश भगवान की पूजा ?
पौराणिक कथा है उसके अनुसार बैकुंठ में मां लक्ष्मी और विष्णु चर्चा कर रहे थे तभी देवी ने यह कहा कि मैं धन-धान्य, सौहाद्र ऐश्वर्य, सौभाग्य देती हूं, मेरी कृपा से भक्त को भी सर्व सुख की प्राप्त होता है. ऐसे में मेरी ही पूजा जो है सर्वश्रेष्ठ है. मां लक्ष्मी के इस अहम भूमिका को विष्णु जी ने भांप लिया और उनके अहंकार को तोड़ने का ही फैसला किया. विष्णु जी ने कहा की देवी आप बहुत श्रेष्ठ है लेकिन संपूर्ण नारीत्व आपके पास ही नही है, क्योंकि जब तक किसी स्त्री को मातृत्व का सुख जो है न मिले वो उसका नारीत्व अधूरा ही रहता है.
विष्णु जी ने तोड़ा था माता लक्ष्मी का घमंड
माता लक्ष्मी श्रीहरि की बात सुनकर निराश हो गईं थी . देवी मां पार्वती के पास पहुंची और उन्हें पूरी बात बताई. जगत जननी मां पार्वती ने लक्ष्मी जी की पीड़ा को देखते हुए कहा अपने एक पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में ही सौंप दिया. देवी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने भगवान गणेश को अपनी संपत्ति,सिद्धियां, धन, सुख गणपति को प्रदान करने की बात कही. देवी ने यह घोषणा की कि साधक को धन, दौलत, ऐश्वर्य की प्राप्ति जो है तभी होगी जब लक्ष्मी के साथ गणेश जी की भी उपासना की जाएगी, तब से ही दिवाली पर इनकी आराधना की जाती है. गणपति हमेशा लक्ष्मी माता जी के बाईं ओर विराजमान होते हैं ऐसे मे देवी की मूर्ति या तस्वीर लेते वक्त इस बात का ध्यान जो की जरूर रखें.
बिना बुद्धि के आप धन का सदुपयोग नही किया जा सकता है
गणेश जी बुद्धि और विद्या दोनों के दाता है. लक्ष्मी के साथ गणेश जी की भी पूजन का एक कारण यह भी है कि धन के साथ बुद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि बुद्धि के बिना तो धन होना भी व्यर्थ है. धन के सदुपयोग के लिए बुद्धि और विवेक दोनों अति आवश्यक होता है.
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